बुधवार, 21 मई 2014

महादेवी वर्मा (1907-1987) की रचनाएँ/mahadevi varma ki rachnayen


महादेवी वर्मा (1907-1987)



आधुनिक साहित्य की मीरा

रेखाचित्र

  • अतीत के चलचित्र (1941)
  • स्मृति की रेखाएँ (1943)

संस्मरण


  • पथ के साथी (1956, अपने अग्रज समकालीन साहित्यकारों पर)
  • मेरी परिवार (1972, पशु-पक्षियों पर)
  •  संस्मरण (1983)

ललित निबंध


 

चुने हुए भाषणों का संग्रह


कहानियाँ



निबन्ध

  • विवेचनात्मक गद्य (1942)
  • श्रृंखला की कड़ियाँ (1942, भारतीय नारी की विषम परिस्थितियों पर)
  • साहित्यकार की आस्था और अन्य निबन्ध (1962, सं. गंगा प्रसाद पांडेय, महादेवी का काव्य-चिन्तन)
  • संकल्पिता (1969)
  • भारतीय संस्कृति के स्वर (1984)।
  • चिन्तन के क्षण
  • युद्ध और नारी
  • नारीत्व का अभिशाप
  • सन्धिनी
  • आधुनिक नारी
  • स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य का प्रश्न
  • सामाज और व्यक्ति
  • संस्कृति का प्रश्न
  • हमारा देश और राष्ट्रभाषा

महत्वपूर्ण पंक्तियां

  • सौन्दर्य परिचय -स्निग्ध खंड है और सत्य विस्मय भरा अखण्ड।
  • काव्य या कला का सत्य जीवन की परिधि में सौन्दर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखण्ड सत्य है।
  • कवि का दर्शन दीवन के प्रति उसकी आस्था का दूसरा नाम है।
  • आस्था मानव के युगान्तर से प्राप्त दार्शनिक लक्ष्य पर केन्द्रित रागात्मक दृशटि है।
  • छायावाद तो करुणा की छाया में सौन्दर्य के माध्यम से व्यक्त होने वाला भावात्मक सर्ववाद ही रहा है और उसी रूप में उसकी उपयागिता है।

महादेवी ने स्वयं लिखा है, ”मां से पूजा और आरती के समय सुने सूर, तुलसी तथा मीरा आदि के गीत मुझे गीत रचना की प्रेरणा देते थे। मां से सुनी एक करुण कथा को मैंने प्रायः सौ छंदों में लिपिबद्ध किया था। पडौस की एक विधवा वधू के जीवन से प्रभावित होकर मैंने विधवा, अबला शीर्षकों से शब्द चित्र् लिखे थे जो उस समय की पत्र्किाओं में प्रकाशित भी हुए थे। व्यक्तिगत दुःख समष्टिगत गंभीर वेदना का रूप ग्रहण करने लगा। करुणा बाहुल होने के कारण बौद्ध साहित्य भी मुझे प्रिय रहा है।

‘‘हिन्दी भाषा के साथ हमारी अस्मिता जुडी हुई है। हमारे देश की संस्कृति और हमारी राष्ट्रीय एकता की हिन्दी भाषा संवाहिका है।’’

 



पुनर्मुद्रित संकलन
(निम्नलिखित संकलनों में महादेवी वर्मा की नयी
कवितायें नहीं हैं, बल्कि पुराने संकलनों को ही नयी भूमिकाओं के साथ पुनर्मुद्रित किया गया है।)


महादेवी वर्मा की बाल कविताओं के दो संकलन छपे हैं

  • ठाकुरजी भोले हैं
  • आज खरीदेंगे हम ज्वाला

बंगाल के अकाल के समय 1943 में इन्होंने एक काव्य संकलन प्रकाशित किया था और बंगाल से सम्बंधित बंग भू शत वंदनानामक कविता भी लिखी थी। इसी प्रकार चीन के आक्रमण के प्रतिवाद में हिमालय (1960) नामक काव्य संग्रह का संपादन किया था।

कुछ प्रतिनिधि कविताएँ


पुरस्कार और सम्मान

1934  नीरजा पर सेक्सरिया पुरस्कार

1942 द्विवेदी पदक’ (स्मृति की रेखाएँ के लिये)

1943   मंगला प्रसाद पुरस्कार(स्मृति की रेखाएँ के लिये)

1943  भारत भारती पुरस्कार, (स्मृति की रेखाओंके लिये)

1944   यामा कविता संग्रह के लिए

1952  उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्या मनोनीत

1956  पद्म भूषण 

1979  साहित्य अकादमी फैलोशिप (पहली महिला)

1982  काव्य संग्रह यामा (1940) के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार

1988  पद्म विभूषण  (मरणोपरांत)

सन 1955 में महादेवी जी ने इलाहाबाद में 'साहित्यकार संसद' की स्थापना की और पं. इला चंद्र जोशी के सहयोग से 'साहित्यकार' का संपादन सँभाला। यह इस संस्था का मुखपत्र था। वे अपने समय की लोकप्रिय पत्रिका चाँदमासिक की भी संपादक रहीं। हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने प्रयाग में रंगवाणी नाट्य संस्था  की भी स्थापना की।

 

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