रविवार, 29 अक्तूबर 2017

तुलसीदास पर पूछे गए सवाल


तुलसीदास पर पूछे गए सवाल


1. तुलसीदास की किस रचना का संबंध ज्योतिष से है?
(A) रामलला नहछू (B) जानकी मंगल (C) हनुमान-बाहुक (D) रामाज्ञा प्रश्न

2. 'कृष्ण गीतावली' किसकी रचना है?
(A) मीराबाई (B) रसखान (C) सूरदास (D) तुलसीदास

3. तुलसीकृत कृष्ण-काव्य कौन-सा है?
(A) कृष्णायन (B) कृष्ण चरित (C) कृष्ण चन्द्रिका (D) कृष्ण गीतावली

4. ‘बरवै रामायण’ किसकी रचना है?
(A) सूरदास (B) तुलसीदास (C) नन्ददास (D) केशवदास

5. गोस्वामी तुलसीदास की अंतिम रचना कौन-सी है?
(A) विनयपत्रिका (B) दोहावली (C) कवितावली (D) हनुमानबाहुक

6. इनमें से कौन-सी रचना तुलसीदास की है?
(A) रामाध्यान मंजरी (B) रामसतसई (C) कृष्ण गीतावली (D) श्रीरामार्चन पद्धति

7. गोस्वामी तुलसीदास की रचना ‘कवितावली’ किस भाषा की रचना है?
(A) अवधी (B) ब्रजभाषा (C) बुन्देली (D) मैथिली

8. 'रामाज्ञा प्रश्नावली' किसकी रचना है?
(A) नाभादास (B) अग्रदास (C) तुलसीदास (D) हृदयदास

9. तुलसीदास की किस रचना में सन्तों महन्तों के गुण वर्णित हैं :
(A) वैराग्य सन्दीपनी (B) रामाज्ञा प्रश्न (C) पार्वती मंगल (D) जानकी मंगल

10. तुलसीदास के गुरु थे :
(A) नरहर्यानन्द (B) रामानन्द (C) रामानुजाचार्य (D) शंकराचार्य

11. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रंथ तुलसीदास का नहीं है?
(1) गीतावली (2) रामचन्द्रिका (3) विनयपत्रिका (4) दोहावली

12. इनमें से कौन-सी रचना अवधी में नहीं है?
(1) पद्मावत (2) मधुमालती (3) कवितावली (4) नूर जवाहर

13. राम और सीता के विवाह के अवसर पर किस कवि ने मिथिला की स्त्रियों से गारी गीत गवाया है ?
(1) तुलसीदास (2) अग्रदास (3) प्राणचल्द चौहान (4) केशवदास

14. कौन-सा युग्म संगत है?
(1) साहित्य लहरी ౼पद्माकर (2) लोकायतन ౼ निराला (3) एक कंठ विषपायी ౼नागार्जुन (4) वैराग्य संदीपनी ౼तुलसीदास

15. ‘कलि कुटिल जीव निस्तार हित वाल्मीकि तुलसी भयो’ कथन है :
(A) रामचरणदास (B) नाभादास (C) रघुवरदास (D) हरिराम व्यास

16. ‘खेती न किसान को, भिखारी को न भीख बलि,
बनिक को न बनिज न चाकर को चाकरी’ पंक्ति तुलसी की किस कृति स संबद्ध है?
(A) रामचरित मानस (B) कवितावली (C) विनयपत्रिका (D) गीतावली

17. ‘मांगि के खैबो मसीत के सोइबो लैबो को एक न दैबो को दोक’ पंक्ति का संबंध तुलसीदास की किस रचना से है?
(A) रामचरितमानस (B) विनयपत्रिका (C) गीतावली (D) कवितावली

18. 'अब लौं नसानी अब न नसै हों' ౼किसकी उक्ति है ?
(A) तुलसीदास (B) सूरदीस (C) मीराबाई (D) कबीरदास

19. ˚'अब लौं नसानी अब न नसै हों' तुलसीदास की किस किताब से है ?
(A) विनयपत्रिका (B) रामचरितमानस (C) वैराग्य संदीपनी (D) दोहावली

20. 'साखी सबदी दोहरा कहि कहनी उपखान।
भगति निसृपहिं अधम कवि निंदहिं वेद पुरान।।' ౼किस कवि की पंक्तियां हैं?
(A) कबीरदास (B) भिखारीदास (C) तुलसीदास (D) सूरदास

21. 'गोरख भगायो जोग, भगति भगायो लोग।' ౼यह काव्य-पंक्ति किसकी है?
(A) गोरखनाथ (B) कबीरदास (C) तुलसीदास (D) जायसी

22. ‘गिरा अरथ, जल बीचि सम कहियत भिन्न भिन्न।
बंदौं सीताराम पद जिनहि परम परम प्रिय खिन्न।’
उक्त काब्य पंक्तियाँ किस कवि की है ?
(1) केशवदास (2) तुलसीदास (3) ईश्वरदास (4) नागरीदास
23. 'केशव कहि न जाइए का कहिए।
देखत तब रचना समुझि मन हि मन रहिए।।'
౼किस कवि की पंक्तियां हैं ?
(1) केशवदास (2) तुलसीदास (3) सूरदास (4) नागरीदास

24. 'मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन रावन रिपु जग सुखदाई। राजीव विलोचन भव भय मोचन पाहि.पाहि सरनहिं आई।।'
रामचरित मानस की उक्त चौपाई में व्यक्त विचार किस पात्र के हैं :
(A) अहल्या (B) शबरी (C) तारा (D) मंदोदरी

25. 'श्रुति सम्मत हरिभक्ति पथ संजुत विरति विवेक' ౼यह काव्य-पंक्ति तुलसीदास की किस रचना से है ?
(A) रामचरितमानस (B) कवितावली (C) विनयपत्रिका (D) गीतीवली

26. ‘कर्मठ कठमलिया कहे ज्ञानी ज्ञान-विहीन
तुलसी त्रिपथ बिहाय गो राम दुआरे दीन’ में त्रिपथ का अर्थ है :
(A) निर्गुण, सगुण और मुक्ति मार्ग (B) उत्तम मार्ग, मध्यम मार्ग और निम्नमार्ग
(C) द्वैत, अद्वैत और द्वैताद्वैत (D) कर्म मार्ग, ज्ञान मार्ग और उपासना मार्ग

27. 'सर्वव्यापी एक कुम्हारा, जाकी महिमा आर न पारा।।
हिन्दू तुरुक का एकै कर्ता, एकै ब्रह्म सबन का भर्ता।।'
के रचनाकार हैं :
(A) कबीरदास (B) मलूकदास (C) तुलसीदास (D) रहीमदासजी

28. रचनाकाल की दृष्टि से निम्नलिखित रचनाओं का सही अनुक्रम बताइए :
(A) कृष्णायन, कीर्तिपताका, रामचरित मानस, रामचन्द्रिका
(B) कीर्तिपताका, रामचरित मानस, रामचन्द्रिका, कृष्णायन
(C) रामचरित मानस, रामचन्द्रिका, कृष्णायन, कीर्तिपताका
(D) रामचन्द्रिका, रामचरित मानस, कीर्तिपताका, कृष्णायन

29. निम्नलिखित रचनाओं का कालक्रमानुसार सही अनुक्रम बताइए :
(A) रामचन्द्रिका, रामचरितमानस, वैदेही वनवास, राम की शक्तिपूजा
(B) राम की शक्तिपूजा, रामचरित मानस, रामचन्द्रिका, वैदेही वनवास
(C) रामचरितमानस, रामचन्द्रिका, वैदेही वनवास, राम की शक्तिपूजा
(D) रामचन्द्रिका, रामचरितमानस, राम की शक्तिपूजा, वैदेही वनवास

30. रचनाकाल की दृश्टि से निम्नलिखित रचनाओं का सही अनुक्रम बताइए :
(A) कीर्तिलता, रामचरितमानस, रसराज, प्रियप्रवास
(B) कीर्तिलता, रामचरितमानस, प्रियप्रवास, रसराज
(C) रामचरितमानस, प्रियप्रवास, रसराज, कीर्तिलता
(D) प्रियप्रवास, रामचरितमानस, कीर्तिलता, रसराज

31. इन कवियों का कालक्रमानुसार आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए :
(A) तुलसीदास, ईश्वरदास, नाभादास, केशवदास
(B) ईश्वरदास, तुलसीदास, केशवदास, नाभादास
(C) केशवदास, तुलसीदास, ईश्वरदास, नाभादास
(D) नाभादास, केशवदास, तुलसीदास, ईश्वरदास
(B) ईश्वरदास (1480-1550 ई.), तुलसीदास (1532-1623 ई.),
केशवदास (1555 ई.-1617 ई.), नाभादास (1570-1650)

32. 'रामचरितमानस' के काण्डों का सही अनुक्रम है :
(A) अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकाण्ड, अयोध्याकोणड, बालकाण्ड
(B) बालकाण्ड, अयोध्याकोणड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकाण्ड
(C) किष्किंधाकाण्ड, अयोध्याकोणड, बालकाण्ड, अरण्यकाण्ड
(D) अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकाण्ड, बालकाण्ड, अयोध्याकोणड
(रामचरित मानस के काण्ड क्रमानुसार ये हैं :
बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड
बालक अयोध्या ने अरण्य में किष्किन्धा को सुन्दर लंका की उत्तर-कथा सुनाई।)

33. रामचरितमानस के काण्डों का सही अनुक्रम है :
(A) बालकाण्ड, अयोध्याकोणड, उत्तरकाण्ड, अरण्यकाण्ड
(B) बालकाण्ड, अयोध्याकोणड, अरण्यकाण्ड, उत्तरकाण्ड
(C) उत्तरकाण्ड, अयोध्याकोणड, बालकाण्ड, अरण्यकाण्ड
(D) अरण्यकाण्ड, उत्तरकाण्ड, बालकाण्ड, अयोध्याकोणड

34. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए :
(A) रामचरित मानस (i) लालादास
(B) रामचन्द्रिका (ii) तुलसीदास
(C) अवध विलास (iii) ईश्वरदास
(D) भरत मिलाप (iv) केशवदास
कूट :
a b c d
(A) (iv) (iii) (ii) (i)
(B) (ii) (iii) (iv) (i)
(C) (ii) (iv) (i) (iii)
(D) (iii) (iv) (i) (ii)

35. निम्नलिखित कवियों को उनकी पंक्तियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) केशव कहि न जाइए का कहिए। (i) सूर
(B) अविगति कछु कहत न आवै। (ii) कबीर
(C) राम भगति अनियारे तीर (iii) जायसी
(D) जोरी लाइ रकत कै लेई (iv) तुलसी (v) मीरा
कूट :
a b c d
(A) (iv) (i) (ii) (iii)
(B) (iv) (ii) (i) (v)
(C) (v) (iii) (ii) (iv)
(D) (i) (iv) (v) (iii)

36. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) हौं सब कबिन्ह केर पछिलगा (i) कबीरदास
(B) कबित्त विवेक एक नहिं मोरे (ii) जायसी
(C) प्रभुजी, हौं पतितन को टीको (iii) मलूकदास
(D) अब तो अजपा जपु मन मेरे।
सूर नर असुर टहलुआ जाके मुनि गंध्रब हैं जाके चेरे (iv) तुलसीदास (v) सूरदास
कूट :
a b c d
(A) (ii) (iv) (v) (iii)
(B) (iv) (ii) (i) (v)
(C) (v) (iii) (ii) (iv)
(D) (i) (iv) (v) (iii)

37. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) जेहि पंखी के नियर होईए करै बिरह की बात। सोई पंखी जाई जरिए तरिवर होई निपात (i) तुलसीदास
(B) हमको सपनेहू में सोच जा दिन तें बिछुरे नन्दनन्दन ता दिन ते यह पोच। (ii) नंददास
(C) जब जीवन को है कपि आस न कोय। कनगुरिया की मुदरी कंगना होय (iii) सूरदास
(D) जिभिया ऐसी बावरी कहि गई सरगताल आपुहिं कहि भीतर रही जूती खात कपाल। (iv) जायसी (v) रहीम
कोड :
a b c d
(A) (iv) (iii) (i) (v)
(B) (v) (iv) (ii) (i)
(C) (iii) (v) (iv) (ii)
(D) (ii) (i) (iii) (iv)

38. पंक्तियों के साथ कवियों का सुमेलन कीजिए :
(A) सेस महेस गनेस दिनेस (i) सूरदास
(B) मन लेत पै देत छटांक नहीं (ii) तुलसीदास
(C) जैसे उड़ि जहाज को पंछी (iii) घनानन्द
(D) गिरा अनयन नयन बिनु बानी (iv) रसखान (v) केशवदास
कूट :
a b c d
(A) (i) (ii) (iv) (iii)
(B) (iv) (iii) (i) (ii)
(C) (iv) (v) (ii) (i)
(D) (iii) (iv) (i) (v)

39. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) जात पात पूछै नहिं कोई (i) तुलसीदास
(B) गिरा अनयन नयन बिनु बानी (ii) परमानन्ददास
(C) प्रेम प्रेम ते प्रेम ते पारहिं पइए (iii) जायसी
(D) मानुष प्रेम भयो बैकुंठी (iv) रामानन्द (v) सूरदास
कूट :
a b c d
(A) (v) (ii) (iii) (iv)
(B) (ii) (iv) (i) (v)
(C) (iv) (i) (v) (iii)
(D) (i) (iii) (ii) (v)

40. निम्नलिखित काव्य-पंक्तयं को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) ये उपमान मैले हो गए हैं (i) अज्ञेय
(B) हम राज्य लिए मरते हैं (ii) बिहारी
(C) बतरस लालच लाल की (iii) मैथिलीशरण गुप्त
(D) जब जीवन को है कपि आस न कोय (iv) तुलसीदास
(iv) पन्त
कूट :
a b c d
(A) (iv) (iii) (ii) (i)
(B) (i) (iii) (ii) (iv)
(C) (ii) (iv) (i) (iii)
(D) (iii) (iv) (i) (ii)

41. इनमें से कौन-सा उद्धरण रचना और रचनाकार के संबंध से संगत है ?
(A) सन्त हृदय नवनीत समाना (i) रसलीन
(B) काहे री नलिनी तू कुम्हिलानी (ii) बिहारी
(C) अमिय हलाहल रस भरे (iii) तुलसीदास
(D) मेरी भवबाधा हरो (iv) कबीर
(iv) सूरदास
कूट :
a b c d
(A) (iii) (iv) (i) (ii)
(B) (i) (iii) (ii) (iv)
(C) (ii) (iv) (i) (iii)
(D) (iii) (iv) (i) (ii)

42. निम्नलिखित काव्य-पंक्तयों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) बसो मोरो नैनन में नन्दलाल (i) नानकदेव
(B) प्रभु जी मोरे अवगुन चित्त न धरो (ii) कबीर
(C) अब लौं नसानी अब न नसै हों (iii) सूरदास
(D) अव्वल अल्लह नूर उपाया क़ुदरत के सब बन्दे (iv) तुलसीदास
(iv) मीराबाई
कूट :
a b c d
(A) (v) (iii) (iv) (ii)
(B) (i) (iii) (ii) (iv)
(C) (ii) (iv) (i) (iii)
(D) (iii) (iv) (i) (ii)

43. निम्नलिखित काव्य-पंक्तयों और कवियों को सुमेलित कीजिए :
(A) अति सूधौ सनेह कौ मारग है (i) तुलसीदास
(B) अब लौं नसानी अब न नसै हों (ii) सूरदास
(C) सटपटाति-सी ससि मुखी मुख पर घूँघट ढाँकि (iii) बिहारी
(D) उधौ मन न भए दस बीस (iv) घनानन्द
(iv) मीराबाई
कूट :
a b c d
(A) (v) (iii) (iv) (ii)
(B) (iv) (i) (iii) (ii)
(C) (ii) (iv) (i) (iii)
(D) (iii) (iv) (i) (ii)

44. गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं का सही क्रम कौन-सा है?
(A) गीतावली, दोहावली, विनय पत्रिका, रामचरित मानस
(B) रामचरित मानस, दोहावली, गीतावली, विनय पत्रिका
(C) दोहावली, गीतावली, रामचरित मानस, विनयपत्रिका
(D) विनय पत्रिका, दोहावली, गीतावली, रामचरित मानस

45. तुलसीदास की पहली रचना है :
(A) वैराग्य सन्दीपनी (B) रामाज्ञा प्रश्नावली (C) पार्वती मंगल (D) जानकी मंगल

उत्तर : 1. (D) 2. (D) 3. (D) 4. (B) 5. (D) 6. (C) 7. (B) 8. (C) 9. (A) 10. (A) 11. (2) 12. (3) 13. (4) 14. (4) 15. (B) 16. (B) 17. (D) 18. (A) 19. (A) 20. (C) 21. (C) 22. (2) 23. (2) 24. (A) 25. (A) 26. (D) 27.(B) 28. (B) 29. (C) 30. (A) 31. (B) 32. (B) 33. (B) 34. (C) 35. (A) 36. (A) 37. (A) 38. (B) 39. (C) 40. (B) 41. (A) 42. (A) 43. (B) 44. (B) 45. (B)

▫ भक्तमाल के रचयिता 'नाभादास' ने इनको 'कलिकाल का वाल्मीकि ' कहकर पुकारा है|
▫ ग्रियर्सन ने इनको 'महात्मा बुद्ध के बाद दूसरा बड़ा लोकनायक' कहकर पुकारा है|
▫ पाश्चात्य विद्वान 'विंसेंट स्मिथ' महोदय ने इनको 'मुगलकाल का सबसे बड़ा आदमी' कहकर पुकारा है|
▫ मधुसुदन सरस्वती ने उनको 'आनंदवन का वृक्ष ' कहकर पुकारा है|
▫ आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इनको 'हिंदी का जातीय कवि' कहकर पुकारा है|
▫ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने उनकी प्रशंसा में लिखा है -"अपरिमित धैर्य लेकर एक पुत्र पैदा हुआ, जिसने भारत में समन्वय की चेष्टा की| इनका काव्य जीवन दो कोटियों को मिलाने वाला काव्य है|"

बुधवार, 25 अक्तूबर 2017

हिन्दी भाषा-साहित्य प्रश्नोत्तरी-6 (हिन्दी-साहित्यकारों के कथन/काव्य-पंक्तियाँ)


हिन्दी भाषा-साहित्य प्रश्नोत्तरी-6 (हिन्दी-साहित्यकारों के कथन/काव्य-पंक्तियाँ)

मुहम्मद इलियास हुसैन
सम्पर्क : 9717324769
Hindisahityavimarsh.bligspot.in

1. निम्नलिखित पंक्तियों के साथ उनके लेखकों को सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) मैं साहित्य को मनुष्य की दृष्टि से देखने का पक्षपाती हूँ (i) बालकृष्ण भट्ट
(B) नाद सौन्दर्य से कविता की आयु बढ़ती है (ii) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(C) साहित्य जन समूह के हृदय का विकास है (iii) प्रतापनारायण मिश्र
(D) आचरण की सभ्यता का यह देश ही निराला है (iv) रामचन्द्र शुक्ल (v) सरदार पूर्णसिंह
कूट :
a b c d
(A) i ii iii iv
(B) ii iv i v
(C) ii iii iv v
(D) v i ii iii

2. निम्नलिखित कवियों को उनकी पंक्तियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) अज्ञेय (i) बात बोलेगी हम नहीं, भेद खोलेगी बात ही
(B) निराला (ii) मुक्त करो नारी को मानव
(C) पन्त (iii) रूपों में एक अरून्प सदा खिलता है
(D) शमशेर बहादुर सिंह (iv) बान्धो न नाव इस ठाव बन्धु (v) व्यक्ति का धर्म है तप, करुणा, क्षमा
कूट :
a b c d
(A) (iii) (iv) (ii) (i)
(B) (i) (ii) (iii) (iv)
(C) (ii) (iii) (i) (iv)
(D) (v) (iv) (iii) (ii)

3. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) केशव कहि न जाइ, का कहिए (i) सूर
(B) अबिगति कछु कहत न आवै (ii) कबीर
(C) राम भगति अनियारे तीर (iii) जायसी
(D) जोरी लाइ रकत कै लेई (iv) तुलसी (v) मीरा
कूट :
a b c d
(A) i ii ii iv
(B) iv v iii ii
(C) iv i ii iii
(D) ii iii i v

4. इन उक्तियों को उनके आचार्यों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) शब्दार्थ शरीरं ताबत् काव्यम् (i) भामह
(B) काव्यं ग्राह्यम अलंकारात् (ii) मम्मट
(C) मुख्यार्थहतिर्दोषः (iii) विश्वनाथ
(D) करोति कीर्तिं प्रतिं च साधु काव्य निबन्धनम् (iv) वामन (v) दण्डी
कूट :
a b c d
(A) i ii iii iv
(B) v iv ii i
(C) ii iii iv v
(D) v iv iii ii

5. इन स्थापनाओं को उनके विद्वानों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) महान् कवि वही हो सकता है जो साथ में गम्भीर हो (i) टी. एस. इलियट
(B) कविता व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि उससे पलायन है (ii) कॉलरिज
(C) काव्य भाषा तथ्यात्मक नहीं, रागात्मक होती है (iii) लांजाइनस
(D) महान् व्यक्तित्व ही महान् विचारों से सम्पन्न होता है (iv) आई॰ ए॰ रिचर्ड्स
(v) ड्राइडन
कूट :
a b c d
(A) i ii iii iv
(B) iii ii iv v
(C) v iv iii i
(D) ii i iv iii

(A) महान् कवि वही हो सकता है जो साथ में गम्भीर हो౼ कॉलरिज
(B) कविता व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि उससे पलायन है౼ टी. एस. इलियट
(C) काव्य भाषा तथ्यात्मक नहीं, रागात्मक होती है౼ आई॰ ए॰ रिचर्ड्स
(D) महान् व्यक्तित्व ही महान् विचारों से सम्पन्न होता है౼ लांजाइनस

6. निम्नलिखित उदाहरणों को उनके अलंकारों के साथ सुमेलित कीजिए:
सूची-1 सूची-2
(A) दृग अरुझत टूटत कुटुम, जुरत चतुर चित प्रीति
परति गाँ दुरजन हिए, दई नई यह रीति (i) रूपक
(B) चंचल-अंचल सा नीलाम्बर (ii) उत्प्रेक्षा
(C) खिला हो ज्यों बिजली का फूल मेघ वन बीच गुलाबी रंग (iii) असंगति
(D) अम्बर पनघट में डुबो रही तारा-घट उषा-नागरी (iv) विरोधाभास (v) उपमा
कूट :
a b c d
(A) i ii iii iv
(B) iii v ii i
(C) ii iii iv v
(D) v iv i iii
(A) दृग अरुझत टूटत कुटुम, जुरत चतुर चित प्रीति परति गाँ दुरजन हिए, दई नई यह रीति౼ असंगति
(B) चंचल-अंचल सा नीलाम्बर౼ उपमा
(C) खिला हो ज्यों बिजली का फूल मेघ वन बीच गुलाबी रंग౼ उत्प्रेक्षा
(D) अम्बर पनघट में डुबो रही तारा-घट उषा-नागरी౼ रूपक

7. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए:
सूची-1 सूची-2
(A) कितना अकेला हूँ मैं, इस समाज में (i) मुक्तिबोध
(B) पिस गया वह भीतरी और बाहरी दो पाटों के बीच (ii) अज्ञेय
(C) वे पत्तर जो रहे हैं, तुम सपने जोड़ रहे हो (iii) नागार्जुन
(D) मैं ही वसन्त का अग्रदूत (iv) रघुवीर सहाय (v) निराला
कूट :
a b c d
(A) iv i iii v
(B) i ii iii iv
(C) ii iii iv v
(D) v iv iii i

(A) कितना अकेला हूँ मैं, इस समाज में౼ रघुवीर सहाय
(B) पिस गया वह भीतरी और बाहरी दो पाटों के बीच౼ मुक्तिबोध
(C) वे पत्तर जोड़ रहे हैं, तुम सपने जोड़ रहे हो౼ नागार्जुन
(D) मैं ही वसन्त का अग्रदूत౼ निराला

8. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-I सूची-II
(A) जेहि पंखी के नियर होई, करै बिरह की बात, सोई पंखी जाई जरि, तरिवर होई निपात
(i) तुलसीदास
(b) हमको सपनेहू में सोच जा दिन तें बिछुरे नन्दनन्दन ता दिन ते यह पोच (ii) नंददास
(d) जब जीवन को है कपि आस न कोय, कनगुरिया की मुदरी कंगना होय (iii) सूरदास
(d) जिभिया ऐसी बावरी कहि गई सरग-पताल आपुहिं कहि भीतर रही, जूती खात कपाल
(iv) जायसी (v) रहीम
कोड :
(A) (b) (c) (d)
(1) (iv) ( iii) ( i) (v)
(2) (v) (iv) (ii) (i)
(3) (iii) (v) (iv) (ii)
(4) (ii) ( i) ( iii) ( iv)

9. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को सुमेलित कीजिए :
(A) नैया बीच नदिया डूबति जाय (1) रहीम
(B) अजगर करे न चाकरी,पंछी करे न काज (2) कबीर
(C) गुरु सुआ जेइ पंथ दिखावा (3) ख़ुसरो
(D) तबलग ही जीवो भलो देबौ होय न धीम (4) जायसी (5) मलूकदास
a b c d
(A) 5 1 2 3
(B) 2 5 4 1
(C) 2 3 5 1
(D) 2 1 5 4

10. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए౼
(A) ये उपमान मैले हो गये हैं (1) अज्ञेय
(B) हम राज्य लिये मरते हैं (2) बिहारी
(C) बतरस लालच लाल की (3) मैथिलीशरण गुप्त
(D) भक्तिहिं ज्ञानहिं नहिं कछु भेदा (4) तुलसीदास (5) पंत
a b c d
(A) (v) (i) (ii) (iii)
(B) (i) (iii) (ii) (iv)
(C) (i) (ii) (iii) (iv)
(D) (iv) (v) (i) (ii)

11. निम्नलिखित गद्य-पंक्तियों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए-
(A) बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है (1) प्रेमचन्द
(B) अधिकार सुख कितना मादक और सारहीन (2) प्रसाद
(C) निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल (3) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(D) मर्द साठे पर पाठे होते हैं (4) रामचन्द शुक्ल (5) हजारी प्रसाद द्विवेदी
कूट
a b c d
(A) (i) (ii) (iii) (iv)
(B) (v) (i) (ii) (iii)
(C) (iv) (ii) (iii) (i)
(D) (i) (iv) (v) (iii)

12. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) जो बीत गई सो बात गई (i) मुक्तिबोध
(B) मैं तो डूब गया था स्वयं सून्य में (ii) दिनकर
(C) दो पाटों के बीच पिस गया (iii) बच्चन
(D) रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन तो और क्या है (iv) अज्ञेय (v) नरेंद्र शर्मा
कूट :
a b c d
(A) v i ii iv
(B) iv iv iii v
(C) iii v iv ii
(D) iii iv i ii

13. निम्नलिखित कथनों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
(A) करुणा दुखात्मक वर्ग में आने वाला मनोविकार है (i) डॉ॰ नगेन्द्र
(B) मनुष्य की श्रेष्ठ साधना ही संस्कृति है (ii) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(C) छायावाद स्थूल के प्रति विद्रोह है (iii) रामचन्द्र शुक्ल
(D) आन्दोलन एक जातीय और जनवादी आन्दोलन है (iv) रामविलास शर्मा (v) रामस्वरूप चतुर्वेदी
कोड:
(a) (b) (c) (d)
(A) (i) (iv) (iii) (iii)
((½ (iii) (ii) (i) (iv)
(C) (iv) (ii) (v) (ii)
(D) (ii) (i) (iv) (iii)

14. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों के साथ उनके कवियां को सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) चिर सजग उनींदी आंखें आज कैसा व्यस्त बाना (i) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(B) रूपोद्यान प्रफुल्लप्रा; कलिका बिम्बाना (ii) मैथिली शरण गुप्त
(C) वेदने! तू भी भली बनी (iii) महादेवी वर्मा
(D) सुरम्य रम्ये रस राशि रंजिते (iv) अयोध्यासिंह उपाध्याय
(v) सुभद्रावती कुमारी चौहान
कूट :\
a b c d
(A) (iii) (iv) (ii) (i)
(B) (v) (ii) (i) (ii)
(C) (ii) (i) (v) (iv)
(D) (iii) (ii) (i) (v)

15. निम्नलिखित कथनों को उनके आचार्यों के साथ सुमेलित कीजिए :
¼A½ सौन्दर्यमलंकारः (i) विश्वनाथ
¼B½ वाक्यं रसात्मकं काव्यम् (ii) वामन
¼C½ वागर्थाविव सम्पृक्तौ वागर्थप्रतिपत्तये (iii) पं॰ जगन्नाथ
¼D½ रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् (iv) कालिदास (v) मम्मट
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ (ii) (i) (iv) (iii)
¼B½ (iii) (ii) (i) (iv)
¼C½ (iv) (iii) (i) (ii)
¼D½ (i) (ii) (v) (iv)

16. निम्नलिखि पंक्तियों के साथ कवियों सुमेलन कीजिए :
¼A½ (।) घुन खाए शहतीरों पर ¼i½ केदारनाथ अग्रवाल
¼B½ (ठ) एक बीते के बराबर ¼ii½ नागार्जुन
¼C½ (ब्) किन्तु हम हैं द्वीप ¼iii½ धूमिल
¼D½ भूख से रिरियाती हुई ¼iv½ अज्ञेय ¼V½ लीलाधर जगूड़ी
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ (i) (iv) (iii) (iii)
¼B½ (iii) (ii) (i) (iv)
¼C½ (iv) (ii) (v) (ii)
¼D½ (ii) (i) (iv) (iii)

17. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
¼A½ साईं के सब जीव हैं कीरी कुंजर दोय ¼i½ विद्यापति
¼B½ देसिल बयाना सबजन मिट्ठा ¼ii½ कबीर
¼C½ भूषन बिनु न विराजई कविता बनिता मित्त ¼iii½ पद्माकर
¼D½ नैन नचाय कही मुसुकाय, लला फिर आइयो खेलन होरी ¼iv½ केशव ¼v½ बिहारी
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ (i) (iv) (iii) (iii)
¼B½ (v) (ii) (iii) (ii)
¼C½ (iv) (ii) (v) (ii)
¼D½ (ii) (i) (iv) (iii)

18. पंक्तियों के साथ के साथ कवियों को सुमेलित कीजिए :
¼A½ सेस महेस गनेस दिनेस ¼i½ सूरदास
¼B½ मन लेत पै देत छटांक नहीं ¼ii½ तुलसीदास
¼C½ जैसे उड़ि जहाज़ को पंछी ¼iii½ घनानन्द
¼D½ गिरा अनयन नयन बिनु पानी ¼iv½ रसख़ान ¼v½ केशवदास
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ ¼i½ ¼ii½ ¼v½ ¼iii½
¼B½ ¼iv½ ¼iii½ ¼i½ ¼ii½
¼C½ ¼iv½ ¼v½ ¼ii½ ¼i½
¼D½ ¼iii½ ¼iv½ ¼i½ ¼v½


19¯ निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
¼A½ जो घनीभूत पीड़ा थी ¼i½ अज्ञेय
¼B½ हेर प्यारे को सेज पास, नम्रमुख हंसी-ख़ुशी ¼ii½ प्रसाद
¼C½ हम नहीं कहते कि हमको छोड़ स्रोतस्विनी बह जाए ¼iii½ निराला
¼D½ जी हां हुजू़र, मैं गीत बेचता हूं ¼iv½ बच्चन ¼v½ भवानी प्र॰ मिश्र
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ (i) (ii) (v) (iv)
¼B½ (v) (iii) (ii) (i)
¼C½ (iv) (ii) (i) (iii)
¼D½ (ii) (iii) (i) (v)

20.¯ काव्य लक्षण और उनके प्रतिष्ठापकों का सुमेलन कीजिए :
¼A½ शब्दार्थौं सहितौ काव्ययम् ¼i½ पंडितराज जगन्नाथ
¼B½ शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवछिन्ना पदावली ¼ii½ विश्वनाथ
¼C½ रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् ¼iii½ कुंतक
¼D½ वाक्यं रसात्मकं काव्यम् ¼iv½ दण्डी ¼v½ भामह
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ (i) (ii) (iii) (v)
¼B½ (iv) (v) (iii)(ii)
¼C½ (v) (iv) (i) (ii)
¼D½ (iii) (vi) (ii) (i)

21. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके कवियों के साथ सुमेलित कीजिए :
¼A½ जिधर अन्याय है, उधर शक्ति ¼i½ नागार्जुन
¼B½ नारी तुम केवल श्रद्धा हो ¼ii½ दिनकर
¼C½ बहुत दिनों तक चक्की रोई, चूल्हा रहा उदास ¼iii½ निराला
¼D½ सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ¼iv½ पंत ¼v½ प्रसाद
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ (v) (iv) (iii) (i)
¼B½ (i) (ii) (iii) (iv)
¼C½ (iv) (ii) (i) (v)
¼D½ (iii) (iv) (i) vi)

22. निम्नलिखित उक्तियों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
¼A½ गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग ¼i½ घनानन्द
¼C½ अनबूड़े बूड़े तिरे, जे बूड़े सब अंग ¼ii½ मीराबाई
¼C½ अति सूधो सनेह को मारग है ¼iii½ सूरदास
¼D½ बसो मेरे नैनन में नन्दलाल ¼iv½ बिहारी ¼v½ तुलसी
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ (v) (iv) (iii) (i)
¼B½ (v) (iv) (i) (ii)
¼C½ (iv) (ii) (i) (v)
¼D½ (iii) (iv) (i) vi)

23. निम्नलिखित उक्तियों को उनके गं्रथकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
¼A½ प्रदोषौ शब्दार्थौ सगुणावलंकृती पुनः क्वापि ¼i½ भट्टतौत
¼B½ प्रज्ञानवनवोन्येषशालिनी प्रतिभा मता ¼ii½ तुसली
¼C½ न कान्तमपि निर्भूषं विभाति वनिता मुखम् ¼iii½ मम्मट
¼D½ कीरति भनिति भूति भल सोई। सूरसरि सम सब कहैं हित होई।
¼iv½ भामह ¼v½ जायसी
कोड :
¼a½ ¼b½ ¼c½ ¼d½
¼A½ (v) (iv) (iii) (i)
¼B½ (i) (ii) (iii) (iv)
¼C½ (iv) (ii) (i) (v)
¼D½ (iii) (i) (iv) (ii)

24.¯ निम्नलिखित पंक्तियों के साथ कवियों का सुमेलन कीजिए :
¼A½ ज्यों ज्यों निहारिए नेरे ह्वै नैननि ¼i½ पद्माकर
¼B½ ऊंचे घोर मंदर के अन्दर रहनवारी है ¼ii½ घनानन्द
¼C½ नैन नचाय कह्यौ मुसुकाय ¼iii½ मतिराम
¼D½ रावरे रूप की रीति अनूप ¼iv½ भूषण ¼v½ ठाकुर
कोड :
(a) (b) (c) (d)
(A) (iii) (iv) (i) (ii)
(B) (v) (ii) (iii) (ii)
(C) (iii) (iv) (i) (v)
(D) (ii) (i) (iv) (iii)

25. निम्नलिखित पंक्तियों को उनके लेखकों के साथ सुमेलित कीजिए :
सूची-1 सूची-2
(A) भक्ति धर्म की रसात्मक अनुभूति है (i) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(B) श्रद्धेय बनने का मतलब है नान परसन अव्यक्ति हो जाना (ii) रामचन्द्र शुक्ल
(C) काव्य आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति है (iii) बालमुकुन्द गुप्त
(D) पंडिताई भी एक बोझ है (iv) हरिशंकर परसाई (v) जयशंकर प्रसाद
कूट :
a b c d
(A) (iii) (iv) (ii) (i)
(B) (v) (ii) (i) (ii)
(C) (ii) (i) (v) (iv)
(D) (ii) (iv) (v) (i)

सोमवार, 23 अक्तूबर 2017



हिन्दी भाषा-साहित्य प्रश्नोत्तरी-5 (हिन्दी-साहित्यकारों की उक्तियाँ/काव्य-पंक्तियाँ)

मुहम्मद इलियास हुसैन
सम्पर्क : 9717324769
Hindisahityavimarsh.bligspot.in

1. नील परिधान बीच सुकुमार, खिला मृदुल अधखुला अंग
खिला हो ज्यों बिजली का फूल, मेघ वन बीच गुलाबी रंग
इन पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?
(A) उपमा (B) उत्प्रेक्षा (C) रूपक (D) दृष्टान्त

2. स्वाधीनता प्राप्ति के अवसर पर लिखी गई निम्नलिखित कविता किस कवि की है?
‘‘मुक्त गगन है, मुक्त पवन है, मुक्त सांस गर्वीली
लांघ सात लांबी सदियों को हुई शृंखला ढीली
टूटी नहीं कि लगा अभी तक, उपनिवेश का दाग़?
बोल तिरंगे, तुझे उड़ाऊँ या कि जगाऊँ आग?’’
(1) माखनलाल चतुर्वेदी (2) रामधारी सिंह दिनकर
(3) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ (4) सोहनलाल द्विवेदी
माखनलाल चतुर्वेदी रचित इस कविता का शीर्षक है - मुक्त गगन है, मुक्त पवन है

3. ‘‘कविता तो कवि की आत्मा का आलोक है, उसके हृदय का रस है, जो बाहर की वस्तु का अवलम्ब लेकर फूट पड़ती है’’ ౼यह कथन किसका है?
(1) जयशंकर प्रसाद (2) नरेश मेहता (3) रामधारी सिंह दिनकर (4) कुंवर नारायण

4. नैन नचाय कही मुसुकायए लला फिर आइयो खेलन होरी౼ काव्य.पंक्ति किस कवि की है ?
(A) पद्माकर (B) मतिराम (C) घनानन्द (D) देव

5. आवत जात पनहियां टूटी बिसरि गयो हरि नाम- यह पंक्ति किस कवि की है-
(A) चतुर्भुजदास (B) सूरदास (C) कुंभनदास (D) नन्ददास

6. कुन्दन को रंग फीको लगै, झलकै अति अंगनि चारु गौराई-
(A) भूषण (B) बिहारी (C) देव (D) मतिराम

7. 'आह, वेदना मिली विदाई'किस नाटक के गीत की पंक्ति है ?
(A) अजातशत्रु (B) चन्द्रगुप्त (C) स्कन्दगुप्त (D) धु्रवस्वामिनी

8. 'काव्यानुभूति की जटिलता चित्तवृत्तियों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि संवादी-विसंवादी वृत्ति के द्वन्द्व पर आधारित है' ౼यह कथन किसका है?
(A) रामचन्द्र शुक्ल (B)) नामवर सिंह (C) नन्ददुलारे वाजपेयी (D) हजारी प्रसाद द्विवेदी

9. 'सखि वे मुझसे कहकर जाते'౼ किस कवि की पंक्ति है?
(A) सियाराम शरण गुप्त (B) मैथिली शरण गुप्त (C) हरिऔध (D) जगदीश गुप्त

10. 'प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी’ किसकी पंक्ति है?
(A) सन्त दादूदयाल (B) रैदास (C) सन्त पीपा (D) सन्त पल्टूदास

11. ‘‘रैण गंवाई सोइ के, दिवस गवाँइयाँ खाई
हीरे जैसे जनमुह है, कउड़ी बदले जाई’’
ये काव्य-पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?
(1) कबीरदास (2) दादूदयाल (3) गुरु नानक (4) कुम्भनदास

12. कहा करौं बैकुंठ जाय?
जहं नहीं नन्द, जहां न जसोदा, नहिं जहं गोपी ग्वाल न गाय
उपर्युक्त पंक्तियां किसकी हैं?
(1) सूरदास (2) परमानन्ददास (3) हित हरिवंश (4) रसखान

13. ''मोरा जोबना नवेल रा भयो है गुलाल
कैसे घर दीनी बकस मोरी माल''
౼उक्त काव्य-पंक्तियां के रचरियता हैं
(A) धर्मदास (B) अमीर ख़ुसरो (C) दरिया साहब (D) यारी साहब

14. ''….रचना न तो दर्शन है और न किसी ज्ञानी कळ प्रौढझ् मस्तिष्क का चमत्कार, यह तो अन्ततः एक साधारण मनुष्य का शंकाकड्ढल हृदय ही है, जो मस्तिष्क कळ स्तर पर चढझ्कर बोल रहा है।' ౼रामधारी सिंह दिनकर द्वारा कहा गया यह कथन किस काव्य में संबंध में है?
(A) रश्मिरथी (B) उर्वशी (C) कुरुक्षेत्र (D) परशुराम की प्रतीक्षा

15. ‘‘उड़ गया गरजता यत्रा-गरुड़
बन बिन्दु, शून्य में पिघल गया साँप’’౼ ये पंक्तियाँ अज्ञेय की किस कविता से हैं?
(A) पहचान (B) साँप (C) हरि घास पर क्षण भर (D) हवाई अड्डे पर विदा

16. मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन रावन रिपु जग सुखदाई
राजीव विलोचन भव भय मोचन पाहि-पाहि सरनहिं आई
रामचरित मानस की उक्त चौपाई में व्यक्त विचार किस पात्र के हैं ?
(1) अहल्या (2) शबरी (3) तारा (4) मंदोदरी

17. ''अच्युत् चरन तरंगिगिनी, शिव-सिर मालती माल''
परि न बनायो सुरसरी, कीजो इंजव भाल
౼इस दोहे के रचनाकार का नाम है :
(1) रहीम (2) रसलीन (3) रसखान (4) रामसहाय

18. ‘‘वाक्य रसात्मकं काव्यं’’ किसकी उक्ति है?
(1) रुद्रट (2) विश्वनाथ (3) वामन (4) कुन्तक

19. लिखन बैठी जाकी सबी गहि-गहि हरब गरूर
भए न केते जगत के चतुर चितेरे कूर
इस दोपे में सबी शब्द का अर्थ है :
(1) चित्र (नायिका के समान) (2) काल्पनिक चित्र (3) आदर्श चित्र (4) मनोनुकूल चित्र

20. ''फिर परियों के बच्चे से हम सुभग सीप के पंख पसार
समुद्र पैरते शुचि ज्योत्सना में पकड़ इन्द्र के कर सुकुमार''
౼इन काव्य-पंक्तियों के रचनाकार हैं :
(1) सुमित्रानन्दन पंत (2) महादेवी वर्मा (3) निराला (4) प्रसाद

21. ''भूलकर जब राह
जब जब राह
भटका मैं
तुम्हीं झलके, महाकवि,
सघन तम की आंख बनकर मेरे लिए।''
౼महाकवि निराला का उपर्युक्त स्तवन किस परवर्ती कवि ने कवि की है?
(1) शमशेर बहादुर सिंह (2) रामधारी सिंह दिनकर (3) धर्मवीर भारती (4) रघुवीर सहाय

22. ''सब का निचोड़ लेकर तुम
सुख से सूखे जीवन में
बरसो प्रभात हिम कण-सा
आँसू बनकर जीवन में''
उक्त काव्य-पंक्तियों के रचयिता हैं :
(1) निराला (2) जयशंकर प्रसाद (3) महादेवी वर्मा (4) पंत

23. ''कहाँ जाऊँ?/हर दिशा में/मृत्यु से भी बहुत आगे की अपरिमित दूरियाँ हैं'' ౼कविता की ये पंक्तियाँ कुंवर नारायण की किस रचना से है?
(1) चक्रव्यूह (2) अपने सामने (3) आत्मजयी (4) परिवेश : हम-तुम

24. ''वैदिक सूक्तों के गरिमामय उद्गम से लेकर लोकगीतों के महासागर तक जिस अविछिन्न प्रवाह की उपलब्धि होती है, उस भारतीय भावधारा का स्नातक हूँ।''
౼उपर्युक्त विचार विद्यानिवास मिश्र ने अपने किस निबंध-संग्रह की भूमिका में लिखे हैं?
(1) देश, धर्म और साहित्य (2) पीपल के बहाने (3 ) छितवन की छांह (4) शिरीष की याद आई

25. अज्ञेय ने ‘शेखर’ के संदर्भ में अपने किस निबंध में स्वीकार किया है कि ‘‘ज्याँ क्रिस्तोफ के अनवत आत्मशोध और आत्म-साक्षात्कार का जो चित्र ‘रोलाँ’ ने प्रस्तुत किया है, उससे कुछ अवश्य प्रेरणा मिली?’’
(1) अद्यतन (2) आत्मनेपद (3) त्रिशंकु (4) धार और किनारे

26. ‘‘आज बस पराजय की बेला में सिद्ध हुआ
झूठी थी सारी अनिवार्यता भविष्य की
केवल कर्म सत्य है
मानव जो करता है, इसी समय
उसी में निहित है भविष्य
युग-युग तक का’’
౼अंधायुग का उक्त संवाद किस अंक से उद्धृत है ?
(1) कौरव नगरी (2) गांधारी का शाप (3) प्रभु की मृत्यु (4) पशु का उदय

27. ‘‘समझदारी आने पर यौवन चला जाता है, जब तक माला गुंथी जाती है फूल कुम्हला जाते हैं’’
౼जयशंकर प्रसाद कृत ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक का उक्त संवाद किस पात्र द्वारा बोला गया है ?
(1) दाण्ड्यायन (2) चाणक्य (3) चन्द्रगुप्त (4) सिंहरण

28. ‘काव्यशोभायाः कर्तारौ धर्मः गुणाः’ यह किस आचार्य की उक्ति है?
(1) मम्मट (2) वामन (3) आनन्दवर्द्धन (4) विश्वनाथ

29. ‘‘मैं साहित्य को मनुष्य की दृष्टि से देखने का पक्षपाती हूँ’’ ౼यह किस आचार्य की उक्ति है?
(1) महावीरप्रसाद द्विवेदी (2) रामचन्द्र शुक्ल (3) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (4) नन्ददुलारे वाजपयी

30. काम मंगल से मंडित श्रेय
सर्ग इच्छा का है परिणाम
तिरस्कृत कर उसको तुम भूल
बनाते हो असफल भवधाम
उपर्युक्त काव्य-पंक्तियां ‘कामायनी’ के किस सर्ग की हैं?
(1) वासना (2) काम (3) श्रद्धा (4) लज्जा

31. ‘‘यह सूचित करने की आवश्यकता नहीं है कि न तो सूर का अवधी पर अधिकार था और न जा(सी का ब्रजभाषा पर’’ यह कथन किसका है?
(1) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (2) नगेन्द्र (3) रामचन्द्र शुक्ल (4) रामकुमार वर्मा

32. ‘गिरा अरथ, जल बीचि सम कहि(त भिन्न भिन्न
बंदौं सीमाराम पद जिनहि परम प्रिय खिन्न’ ౼उक्त काव्य- पंक्तियाँ किस कवि की है ?
(1) केशवदास (2) तुलसीदास (3) ईश्वरदास (4) नागरीदास

33. ‘‘चिरजीवों जारी जुरैं क्यों न सनेह गंभीर
को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के बीर’’
‘वृषभानुजा’ और ‘हलधर’ में कौन-सा अलंकार है?
(1) यमक (2) प्रतीप (3) श्लेष (4) ब्याजस्तुति

34. ‘‘अष्टछाप में सूरदास के पीछे इन्हीं का नाम लेना पड़ा है, इनकी रचना भी बड़ी सरस और मधुर है, इनके संबंध में यह कहावत प्रसिद्ध है कि और कवि गढ़िया नंददास जड़िया’ यह कथन किसका है?
(1) रामचन्द्र शुक्ल (2) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी (3) रामकुमार (4) नन्ददुलारे वाजपेयी

35. ‘‘छोड़ द्रुमों की मृदु छाया
तोड़ प्रकृति से भी माया
बोले! तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूँ लोचन?’’
(1) रामनरेश त्रिपाठी (2) जयशंकर प्रसाद (3) सुमित्रानंदन पंत (4) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

36. ‘कविता कवि व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं, व्यक्तित्च से पलायन है’ यह कथन किसका है?
(1) लुकाच (2) कॉलरिज (3) आई॰ ए॰ रिचर्ड्स (4) टी॰ एस॰ इलियट

37. ‘श्रेष्ठ कविता प्रबल मनोवेगों का सहज उच्छलन है, किन्तु इसके पीछे कवि की विचारशीलता और गहन चिन्तन होना चाहिए’ ౼यह विचार किस पाश्चात्य चिन्तक का है?
(1) कॉलरिज (2) क्रोचे (3) लेविस (4) वडर्सवर्थ

38. ‘‘हिन्दू पूजै देहरा, मुसलमान मसीद’’ यह किस कवि की पंक्ति है?
(1) कबीर (2) नामदेव (3) मंझन (4) सुन्दरदास

39. अपना परिचय देते हुए किस कवि ने स्वीकार किया है कि
‘‘हय रथ पालकी, गयंद, ग्राम, चारु
आखर लगा लेत लाखन की सामा हौं’’
(1) भूषण (2) देव (3) प्रतापसाहि (4) पद्माकर

40. ‘‘समरस थे जड़ चेतन
सुन्दर साकार बना था
चेतनता एक विलसती
आनन्द अखंड घना था’’
౼जयशंकर प्रसाद की उर्पयुक्त पंक्तियां कामायनी कके किस सर्ग की हैं?
(1) श्रद्धा (2) रहस्य (3) आनन्द (4) इड़ा

41. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म संगत है ౼
(1) आह वेदना मिली विदाई-जयशंकर प्रसाद
(2) सखि! वे मुझसे कहकर जाते- महादेवी वर्मा
(3) एक बार बस और नाच तू श्यामा- पंत
(4) दुख सबको मांजता है- निराला

42. बरह बरस लौं कूकर जियैं अरु तेरह लौ जियैं सियार।
बरस अठारह क्षत्रिय जीवै, आगे जीवन को धिक्कार।। ౼ये पंक्तियों किस रासो काव्य की हैं :
(1) खुमान रासो (2) पृथ्वीराज रासो (3) हम्मीर रासो (4) परमाल रासो

43. अमिय हलाहल मद भरे, सेत स्याम रतनार
जियत मरत झुकि झुकि परत, जेहि चितवत इक बार-इन काव्य पंक्तियों के कवि हैं౼
(1) बिहारी (2) रसलीन (ब3) घनानन्द (4) मतिराम

44. ''साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है।'' ;ह परिभाषा किसकी है౼
(1) भारतेन्दु (2) बालकृष्ण भट्ट (3) महावीर प्रसाद द्विवेदी (4) हजारी प्रसाद द्विवेदी

45. ''भाषा प्रवीन सुछन्द सदा रहै, सो घन जी के कवित्त बखानै'' ౼किस कवि की पंक्ति है\
¼A) घनानन्द की ¼B) बोधा की ¼C) ब्रजरत्नदास की ¼D) रत्नाकर की

46. 'अपने यहां संसद ऐसी घानी है, जिसमें आधा तेल आधा पानी है' के कवि हैं :
¼A) केदारनाथ सिंह ¼B) धूमिल ¼C) लीलाधर जगूड़ी ¼D) राजेश जोशी

47. मैंने श्रीकृष्णचन्द्र को इस ग्रंथ में एक महापुरुष की भाँति अंकित किया है, ब्रह्म करके नहीं ౼यह
आख्यान किस कवि ने किया है \
(1) धर्मवीर भारती (2) द्वारिका प्रसाद मिश्र
(3) मैथिलीशरण गुप्त (4) अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध

48. दुख ही जीवन की कथा रही
क्या कहूँ आज जो नहीं कही ౼यह कथन किस कवि का है\
(1) प्रसाद (2) मुक्तिबोध (3) निराला (4) पंत

49. देसिल बयाना सब जन मिट्ठा ౼किसका कथन है ?
¼A) तुलसीदास ¼B) सूरदास ¼C) कबीरदास ¼D) विद्यापति

50. बसो मेरे नैनन में नन्दलाल ౼किसकी पंक्ति है \
¼A) सूरदास ¼B) नन्ददास ¼C) मीराबाई ¼D) कृष्णदास

51. तोड़ने ही होंगे मठ और गढ़ सब ౼किसकी उक्ति है ?
¼A) निराला ¼B) रघुवीर सहाय ¼C) नागार्जुन ¼D) मुक्तिबोध

52. हिन्दी नयी चाल में ढली, सन् 1873 ई॰ में ౼यह किसका कथन है :
¼A) रामविलास शर्मा ¼B) रामचन्द्र शुक्ल ¼C) किशोरीदास वाजपेयी ¼D) भारतेन्दु

53. आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे प्रधान घटना है ౼यह कथन किसका है \
¼A) महावीर प्रसाद द्विवेदी ¼B) रामचन्द्र शुक्ल ¼C) रामविलास शर्मा ¼D) नन्ददुलारे वाजपेयी

54. झांकियां निकलती हैं ढोंग अविश्वास की
बदबू आती है मरी हुई बात की
इस हवा में अब नहीं डोलूंगा
नहीं, नहीं, मैं यह खिड़ी नहीं खोलूंगा। ये पंक्तियों किसकी है \
¼A) प्रभाकर माचवे ¼B) भारतभूषण अग्रवाल ¼C) नरेश मेहता ¼D) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

55. 'रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्' किस आचार्य का कथन है \
(A) मम्मट (B) विश्वनाथ (C) पंडितराज जगन्नाथ (D) भामह

1. (C) 2. (1) 3. (3) 4. (A) 5. (c) 6. (D) 7. (C) 8. (A) 9. (B) 10. (B) 11. (1) 12. (2) 13. (B) 14. (C) 15. (D) 16. (A) 17. (1) 18. (2)

19. (1) 20. (1) 21. (1) 22. (2) 23. (3) 24. (3) 25. (2) 26. (4) 27. (2) 28. (2) 29. (3) 30. (3) 31. (3) 32. (2) 33. (3) 34. (1) 35. (3)

36. (4) 37. (4) 38. (2) 39. (4) 40. (3) 41. (1) 42. (4) 43. (2) 44. (2) 45. (C) 46. (B) 47. (4) 48. (3) 49. (D) 50. (C) 51. (D) 52. (D)

53. (B) 54. (D) 55. (C)







सोमवार, 9 अक्तूबर 2017

पं. रामनरेश त्रिपाठी (1889-1962 ई.) की रचनाएँ


पं. रामनरेश त्रिपाठी (1889-1962 ई.) की रचनाएँ

प्रस्तुति : मुहम्मद इलियास हुसैन
सम्पर्क-सूत्र : 9717324769

त्रिपाठीजी के चार काव्य-संग्रह : कविता विनोद (1914 ई.), मिलन (1918 ई., देशभक्ति, प्रकृति-चित्रण और नीति-निरूपण संबंधी कवितओं का संग्रह), क्या होमरूल लोगे (1918), पथिक (1921 ई., काल्पनिक कथाश्रित प्रेमाख्यानक खण्ड-काव्य, दक्षिण भारत के रम्य दृश्यों का बहुत विस्तृत समावेश और गाँधीवाद का प्रभाव), मानसी (1927 ई., काल्पनिक कथाश्रित प्रेमाख्यानक खण्ड-काव्य) स्वप्न (1929 ई., काल्पनिक कथाश्रित प्रेमाख्यानक खण्ड-काव्य, उत्ताराखंड और कश्मीर की सुषमा का वर्णन, 'छायावाद' का रंग कहीं-कहीं इसके भीतर झलक मारता है)।
उपन्यास : वीरांगना (1911 ई.), वीरबाला (1911 ई.), मारवाड़ी और पिशाचिनी (1918 ई.), लक्ष्मी (1924 ई.)
नाटक : सुभद्रा (1924 ई.), जयन्त (1933 ई.), प्रेमलोक (1934 ई.)
आलोचनात्मक ग्रंथ : तुलसीदास (1942 ई.), तुलसी और उनकी कविता (1942 ई.), रामचरितमानस की टीका, हिन्दी साहित्य का इतिहास
संस्मरण : तीस दिन मालवीय जी के साथ (1942 ई.)
त्रिपाठीजी के काव्य में देशभक्ति का स्वर ही प्रमुख है। स्वदेशभक्ति की जो भावना भारतेंदु के समय से चली आती थी उसे सुंदर कल्पना द्वारा रमणीय और आकर्षक रूप त्रिपाठीजी ने ही प्रदान किया।
रामनरेश त्रिपाठी की काव्य-पंक्तियाँ౼
प्रभु आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिए।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हम से कीजिए।
लीजिए हमको शरण में हम सदाचारी बनें।
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक, वीर-व्रत-धारी बनें। (पथिक)
सच्चा प्रेम वही है जिसकी, तृप्ति आत्म-बलि पर हो निर्भर।
त्याग बिना निष्प्राण प्रेम है, करो प्रेम पर प्राण निछावर।।
देश-प्रेम वह पुण्य क्षेत्र है, अमल असीम त्याग से विलसित।
आत्मा के विकास से जिसमें, मनुष्यता होती है विकसित। (पथिक)
उसी समय कमनीय एक स्वर्गीय किरण सी बामा।
कवि के स्वप्न समान, विश्व के विस्मय सी अभिरामा। (पथिक)
तुम अपने सुख के प्रबंध के हो न पूर्ण अधिकारी।
यह मनुष्यता पर कलंक है प्रिय बन्धु,तुम्हारी
पराधीन रहकर अपना सुख शोक न कह सकता है।
यह अपमान जगत् में केवल पशु ही सह सकता है। (पथिक)
सर्वोपरि उन्नत मन की-सी लक्षित अचल ऊँचाई।
एक घड़ी को भी न किसी के लिए हुई सुखदाई। (स्वप्न)
हुई निविड़ तम में प्रभात-बेला-सी जागृत आशा। (स्वप्न)
दुख को पका हृदय निशि-वासर, आश्रित चिन्ता पर था।
कहीं शब्द से छू न जाय, हर घड़ी उन्हें यह डर था। (स्वप्न)
प्रिय की सुधिसी ये सरिताएँ, ये कानन कांतार सुसज्जित।
मैं तो नहीं किंतु है मेरा हृदय किसी प्रियतम से परिचित।
जिसके प्रेमपत्र आते हैं प्राय: सुखसंवाद सन्निहित (स्वप्न)
इसी प्रकार के प्रश्न उसे व्याकुल करते रहते हैं और कभी कभी वह सोचता है ౼
इसी तरह की अमित कल्पना के प्रवाह में मैं निशिवासर,
बहता रहता हूँ विमोहवश; नहीं पहुँचता कहीं तीर पर।
रात दिवस ही बूँदों द्वारा तन घट से परिमित यौवन जल,
है निकला जा रहा निरंतर, यह रुक सकता नहीं एक पल। (स्वप्न)
कभी कभी उसकी वृत्ति रहस्योन्मुख होती है, वह सारा खेल खड़ा करने वाले उस छिपे हुए प्रियतम का आकर्षण अनुभव करता है और सोचता है कि मैं उसके अन्वेषण में क्यों न चल पड़ूँ। उसकी प्रिया सुमना उसे दिन-रात इस प्रकार भावनाओं में ही मग्न और अव्यवस्थित देखकर कर्म मार्ग पर स्थिर हो जाने का उपदेश देती है౼
सेवा है महिमा मनुष्य की, न कि अति उच्च विचार द्रव्य बल।
मूल हेतु रवि के गौरव का है प्रकाश ही न कि उच्च स्थल
मन की अमित तरंगों में तुम खोते हो इस जीवन का सुख (स्वप्न)
उधर वसंत उसके वियोग में प्रकृति के खुले क्षेत्र में अपनी प्रेम वेदना की पुकार सुनाता फिरता है, पर सुमना उस समय प्रेमक्षेत्र से दूर थी౼
अर्द्ध निशा में तारागण से प्रतिबिंबित अति निर्मल जलमय।
नीलझील के कलित कूल पर मनोव्यथा का लेकर आश्रय
नीरवता में अंतस्तल का मर्म करुण स्वर लहरी में भर।
प्रेम जगाया करता था वह विरही विरह गीत गा गा कर
भोजपत्र पर विरहव्यथामय अगणित प्रेमपत्र लिख लिखकर।
डाल दिए थे उसने गिरि पर, नदियों के तट पर, वनपथ पर
पर सुमना के लिए दूर थे ये वियोग के दृश्य कदंबक।
और न विरही की पुकार ही पहुँच सकी उसके समीप तक (स्वप्न)
'जो देश की रक्षा करे वही राजा' उसको राज्य सौंप देता है। उसी समय सुमना भी उसके सामने प्रकट हो जाती है।
घन पर बैठ बीच में बिचरूँ, यही चाहता मन है
सिंधुविहंग तरंग पंख को फड़का कर प्रतिक्षण में।
है निमग्न नित भूमि अंड के सेवन में, रक्षण में (पथिक)
चारु चंद्रिका से आलोकित विमलोदक सरसी के तट पर,
बौरगंधा से शिथिल पवन में कोकिल का आलाप श्रवण कर।
और सरक आती समीप है प्रमदा करती हुई प्रतिध्वनि;
हृदय द्रवित होता है सुनकर शशिकर छूकर यथा चंद्रमणि
किंतु उसी क्षण भूख प्यास से विकल वस्त्र वंचित अनाथगण,
'हमें किसी की छाँह चाहिए' कहते चुनते हुए अन्नकण,
आ जाते हैं हृदय द्वार पर, मैं पुकार उठता हूँ तत्क्षण ,
हाय! मुझे धिाक् है जो इनका कर न सका मैं कष्टनिवारण।
उमड़-घुमड़ कर जब घमंड से उठता है सावन में जलधार,
हम पुष्पित कदंब के नीचे झूला करते हैं प्रतिवासर।
तड़ित्प्रभा या घनगर्जन से भय या प्रेमोद्रेक प्राप्त कर,
वह भुजबंधान कस लेती है, यह अनुभव है परम मनोहर।
किंतु उसी क्षण वह गरीबिनी, अति विषादमय जिसके मँहपर,
घुने हुए छप्पर की भीषण चिंता के हैं घिरे वारिधार,
जिसका नहीं सहारा कोई, आ जाती है दृग के भीतर,
मेरा हर्ष चला जाता है एक आह के साथ निकल कर (स्वप्न)
प्रतिक्षण नूतन भेष बनाकर रंगबिरंग निराला।
रवि के सम्मुख थिरक रही है नभ में वारिदमाला
नीचे नील समुद्र मनोहर ऊपर नील गगन है।
मेरे लिए खड़ा था दुखियों के द्वार पर तू।
मैं बाट जोहता था तेरी किसी चमन में।
बनकर किसी के ऑंसू मेरे लिए बहा तू।
मैं देखता तुझे था माशूक के वदन में (फुटकल)
इस प्रकार त्रिपाठीजी स्वच्छंदतावाद (रोमांटिसिज्म) के प्रकृत पथ पर नज़र आते हैं।

शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

लाला भगवानदीन का काव्य

लाला भगवानदीन का काव्य

(जन्म- सन 1866, फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1930)
प्रस्तुति : मुहम्मद इलियास हुसैन
सम्पर्क-सूत्र : 9717324769
डॉ॰ श्यामसुन्दर दास तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के लाला भगवानदीन प्रमुख सहयोगी रहे थे। उन्होने हिन्दी शब्दसागर के निर्माण में सहायक सम्पादक के रूप में महान योगदान दिया।
काव्य संग्रह : नवीन बीन, नदी में दीन (नदीम-ए-दीन), वीर क्षत्राणी, वीर बालक, वीर पंचरत्न, दीन ग्रंथावली (सम्पूर्ण काव्य)
है। ‘वीर पंचरत्न’ वीरतापूर्ण काव्य संग्रह है।
टीका-ग्रंथ : बिहारी बोधिनी (बिहारी सतसई), केशव कौमुदी (रामचन्द्रिका, कविप्रिया, रसिकप्रिया), प्रियाप्रकाश, सूक्ति सरोवर , कवितावली' की प्रामाणिक टीकाएँ भी इन्होंने लिखीं।
सम्पादित कृतियां : सूर पंचरत्न, केशव पंचरत्न, ठाकुर ठसक
अलंकार ग्रंथ : अलंकार मंजूषा
शब्द-शक्ति संबंधी ग्रंथ : व्यंगार्थ मंजूषा
स्वर्गीय लाला भगवानदीन[सम्पादन]
उनकी कविताओं के दोनों तरह के नमूने नीचे देखिए౼
सुनि मुनि कौसिक तें साप को हवाल सब,
बाढ़ी चित करुना की अजब उमंग है।
पदरज डारि करे पाप सब छारि,
करि नवल सुनारि दियो धामहू उतंग है।
'दीन' भनै ताहि लखि जात पतिलोक,
ओर उपमा अभूत को सुझानों नयो ढंग है।

कौतुकनिधान राम रज की बनाय रज्जु,
पद तें उड़ाई ऋषिपतिनीपतंग है
वीरों की सुमाताओं का यश जो नहींगाता।
वह व्यर्थ सुकवि होने का अभिमान जनाता
जो वीरसुयश गाने में है ढील दिखाता।
वह देश के वीरत्व का है मान घटाता
सब वीर किया करते हैं सम्मान कलम का।
वीरों का सुयशगान है अभिमान कलम का
''खड़ीबोली की कविताओं का तर्ज़ उन्होंले प्रायः मुंशियाना ही रखा था। भक्ति और श्रृंगार की पुराने ढंग की कविताओं में उक्ति चमत्कार भी वे अच्छा लाते थे।'' ౼रामचन्द्र शुक्ल
- "एक बिहारी पर चार-चार बिहारियों - मिश्र बन्धु श्यामबिहारी, गणेश बिहारी, शुकदेव बिहारी और चौथे कृष्णबिहारी का धावा देखकर बेचारा हिन्दी समाज घबड़ा गया है ।"౼ लाला भगवानदीन
लाला भगवानदीन स्वच्छन्दतावादी काव्यधारा को विरोधस्वरूप 'छोकरावाद' कहते थे।
हिंदी साहित्य के इतिहास में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने देव और बिहारी विवाद को के प्रसंग को 'साहित्यिक झगड़ा' कहा है ।
"देव कवि महाकवि नहीं है, क्योंकि उन्होंने उच्च भावों का उद्बोधन नहीं किया, समाज, देश या धर्म को कविता द्वारा लाभ नहीं पहुँचाया और मानव चरित्र को उन्नत नहीं किया । वह भी यदि महाकवि या कविरत्न माना जा सकेगा, तो प्रत्येक प्रांत में सैंकड़ों महाकवि और कवि रत्न निकल आवेंगे ।"౼ महावीरप्रसार द्विवेदी
"छोटे छंद में आवश्यक बातें न छोड़ते हुए उक्ति कैसे निभाई जाती है, यह चमत्कार बिहारीलाल में है तथा बड़े छंद में अनेक परन्तु भाव और भाषा के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले कथनों के साथ, भाव विकास कैसे पाता है, यह अपूर्वता देवजी की कविता में है ।" ౼कृष्णबिहारी मिश्र
"क्या संस्कृत, क्या प्राकृत, क्या हिन्दी - सभी से बिहारीलाल ने भाव-हरण किए हैं । सूर और केशव की उक्तियाँ उड़ाने में तो बिहारीलाल को संकोच ही नहीं होता था ।" ౼कृष्णबिहारी मिश्र
"वे (देव) धन-लोलुपता के कारण द्वार-द्वार और देश-देश में मारे फिरते थे । ------- देव को तो हम भिक्षुक कवि कह सकते हैं, बिहारी राजकवि और कविराज थे ।" ౼कृष्णबिहारी मिश्र
"हो सकता है कि शर्माजी ने भी बहुत से स्थलों पर बिहारी का पक्षपात किया हो, पर उन्होंने जो कुछ किया है, वह एक अनूठे ढंग से किया है । उनके पक्षपात का भी साहित्यिक मूल है ।" आचार्य रामचंद्र शुक्ल
"अच्छा हुआ कि 'छोटे-बड़े' के इस भद्दे झगड़े की ओर अधिक लोग आकर्षित नहीं हुए ।" आचार्य रामचंद्र शुक्ल
डॉ. नगेन्द्र के अनुसार - "स्वभाव से देव की अपनी व्यक्तिगत आस्था एकनिष्ठ प्रेम में ही थी । एक तरह से कहा जा सकता है कि उनका प्रेम विषयक दृष्टिकोण बिहारी, मतिराम पद्माकर आदि शुद्ध रीतिवादी कवियों और दूसरी ओर घनानंद, ठाकुर, बोधा आदि रीतिमुक्त एकनिष्ठ प्रेमी कवियों का मध्यवर्ती था ।"