बुधवार, 24 जनवरी 2018

दूधनाथ सिंह की रचनाएँ

दूधनाथ सिंह की रचनाएँ
जन्म : 17 अक्टूबर 1936 , सोबंथा गाँव, (बलिया, उत्तर प्रदेश)
निधन : 11 जनवरी, 2018 ई. (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश)
जनवादी साहित्यकार दूधनाथ सिंह ने अपनी कहानियों के माध्यम से साठोत्तरी भारत के पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं मनोवैज्ञानिक सभी क्षेत्रों में उत्पन्न विसंगतियों एवं विद्रूपताओं को चुनौती दी।
यम-गाथा नाटक मिथक पर आधारित है और इसका कथानक व्यापक सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों - साममन्तवाद, सत्ता की राजनीति, हिंसा, अन्याय, सामाजिक-भेदभाव और नस्लवाद पर सवाल पर खड़े करता है।
साठोत्तरी कहानी और अकहानी के सूत्रधारों में से
दूधनाथ सिंह उन कथाकारों में शामिल हैं जिन्होंने नई कहानी आंदोलन को चुनौती दी और साठोत्तरी कहानी आंदोलन का सूत्रपात किया। 'हिन्दी के चार यार' के रूप में प्रसिद्ध में से एक। अन्य तीन हैं - ज्ञानरंजन, काशीनाथ सिंह और रवीन्द्र कालिया।
उपन्यास : आखिरी कलाम (2003 ई.), बाबरी मस्जिद-विध्वंस पर यात्रा-वृतान्त शैली में रचित उपन्यास ।
कहानी-संग्रह : सपाट चेहरे वाला आदमी (1967 ई.), सुखान्त (1971 ई.), प्रेमकथा का अन्त न कोई, पहला क़दम (1976 ई.) माई का शोकगीत (1992 ई.), नमो अन्धकारम् (1998 ई.), धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे (2002 ई.), निष्कासन (2002 ई.), तू फू (2011 ई.), जलमुर्गिर्यों का शिकार, कथा-समग्र।
चर्चित कहानियाँ : विजेता, कबन्ध, रीछ, सुखान्त, प्रतिशोध इत्यादि।
कविता-संग्रह : अगली शताब्दी के नाम, एक और भी आदमी है, युवा खुशबू, सुरंग से लौटते हुए (लंबी कविता), तुम्हारे लिए, एक अनाम कवि की कविताएँ।
नाटक : यमगाथा (1990 ई.), पौराणिक गाथा को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है। पुरुरवा, उर्वशी और इन्द्र इसके मुख्यपात्र हैं।
आलोचना : निराला : आत्महंता आस्था, महादेवी, मुक्तिबोध : साहित्य में नई प्रवृत्तियाँ, अन्तःकरण का आयतन (मुक्तिबोध की कविता पर एक पुस्तक)।
संस्मरण : लौट आ ओ धार (1995 ई.), सबको अमर देखना चाहता हूँ।
साक्षात्कार : कहा-सुनी (2005 ई.), इसमें दूधनाथ सिंह के चार साक्षात्कार और चार निबन्ध (महाजनी सभ्यता और आज की दुनिया, सुमित्रानन्दन पन्त का अन्तर्गमन, समकालीन हिन्दी कविता में रीतिवाद तथा कहानी का झूठा सच) संकलित हैं।
सम्पादन : तारापथ (सुमित्रानंदन पंत की कविताओं का चयन), एक शमशेर भी है, दो शरण (निराला की भक्ति-कविताएँ), भुवनेश्वर-समग्र, पक्षधर (पत्रिका – आपात काल के दौरान एक अंक का सम्पादन, जिसे सरकार द्वारा ज़ब्त कर लिया गया)।
सम्मान : भारत भारती सम्मान, भारतेंदु सम्मान, शरद जोशी स्मृति सम्मान, कथाक्रम सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान।

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